सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि सीआरपीसी में स्पष्ट प्रावधानों के अभाव के बावजूद, न्यायिक मजिस्ट्रेट को किसी अपराध की जांच के लिए किसी व्यक्ति को अपनी आवाज का नमूना देने का आदेश देने का अधिकार दिया जाना चाहिए.
यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने सुनाया. बेंच ने कहा कि, रितेश सिन्हा (2019) मामले में यह माना गया था कि, सीआरपीसी में स्पष्ट प्रावधानों के अभाव के बाद भी न्यायाकि मजिस्ट्रेट को किसी अपराध की जांच के लिए किसी भी शख्स को अपनी आवाज का नमूना देने का आदेश देने का अधिकार दिया जाना चाहिए.




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