अहमदाबाद, 7 अगस्त 2025-राज्यसभा सांसद और प्रसिद्ध शेर प्रेमी श्री परिमल नथवाणी ने आज गिर के प्रसिद्ध शेरों जय और वीरू की याद में “जय-वीरू नी जोड़ी” नामक लोकशैली में बने एकभावपूर्ण विडियो-गीत और एक डॉक्युमेंट्री “जय-वीरू नीअमरगाथा” का लोकार्पण किया। हाल ही में इन दोनों शेरों का निधन हुआ था।
परंपरागत संगीत और ग्रामीण वाद्यों की पृष्ठभूमि में तैयार यह गीत, शेरों की इस जोड़ी के अद्भुत बंधन, शक्ति और भाईचारे को समर्पित है। यह रचना जय और वीरू के बीच की भावनात्मक कड़ी और उनके प्रशंसकों के लिए श्रद्धांजलि स्वरूप है।
प्रसिद्ध गायक आदित्य गढ़वी ने इस गीतऔर डॉक्युमेंट्री को स्वर दिया है। इस गीत और डॉक्युमेंट्री बोल प्रख्यात गुजराती स्क्रीनप्ले लेखक और गीतकार पार्थ तारपरा ने लिखे हैं। संगीत भार्गव तथा केदार की प्रतिभासंपन्न जोड़ी ने तैयार किया है। इसी टीम ने पिछले वर्ष 10 अगस्त 2024 को वर्ल्ड लायन डे पर रिलीज़ किए गए “गिर गजवती आवी सिहण” गीत की भी रचना की थी।
गुजरात की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े लोक कलाकारों द्वारा रचित “जय-वीरू नी जोड़ी” सिर्फ एक आम गीत नहीं, बल्कि दो महान शेरों की विरासत को संजोने वाला एक भावनात्मक और ह्दयस्पर्शी श्रद्धांजलि गीत है।
“जय-वीरू नीअमरगाथा”, दूसरी और, सासण गिर की सुंदरता और प्रतिभावान शेरों की इस जोडी की उपस्थिति ने उसको कैसे असाधारण बना दिया उसका बयान करती है।
“जय और वीरू केवल शेर नहीं थे—वे वफादारी, एकता और मित्रता के प्रतीक थे। उनकी कहानी ने हममें से कई लोगों को गहराई से छुआ है,” श्री नथवाणी ने कहा। “यह गीत और डॉक्युमेंट्री मेरे और कई शेर प्रेमियों की भावनाओं को व्यक्त करता है। यह उनकी स्मृति को सम्मान देने का मेरा तरीका है।”
इस वर्ष 10 अगस्त को वर्ल्ड लायन डे के अवसर पर श्री नथवाणी ने जय-वीरू की याद में विशेष स्मृति टी-शर्ट भी डिज़ाइन किये हैं, जो सासण-गिर के स्मृति-वस्तुओं की दुकान पर उपलब्ध होंगे।
शेरों के संरक्षण के लिए समर्पित श्री नथवाणी अपने वार्षिक शेर थीम वाले कैलेंडरों और सोशल मीडिया पर गिर और वहां के वन्य जीवन से जुड़ी जानकारियों के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने बताया कि “जय-वीरू की जोड़ी” गीत सभी प्रमुख स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म पर भी उपलब्ध होगा।उन्होंने कहा कि“जय और वीरू की आत्मा हमारे दिलों में हमेशा गर्जना करती रहे। इस गीत और डॉक्युमेंट्री के माध्यम से मैं उनकी स्मृति को अमर बनाना चाहता हूँ,” ।
श्री नथवाणी ने यह भी याद किया कि उन्होंने जय और वीरू को नाम देने की प्रक्रिया में वन विभाग के अधिकारीओं के साथ भाग लिया था, जिससे यह श्रद्धांजलि और भी भावनात्मक बनती है।