किसान सिर्फ महाराष्ट्र में ही आत्महत्या कर रहे हैं, ऐसा नहीं है और इसके पड़ोसी राज्य कर्नाटक में भी अब यही स्थिति है. सरकार की तरफ से जो आंकड़ें जारी किए गए हैं, वो हैरान करने के साथ ही साथ डराते भी हैं. कर्नाटक जहां पर कांग्रेस की सरकार है, वहां विपक्ष में मौजूद बीजेपी ने अब उसे घेरना शुरू कर दिया है. किसानों की आत्महत्या के पीछे कई वजहें हैं जिनमें कर्ज सबसे ऊपर है. अभी तक सरकार की तरफ से इस पर कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.
सरकारी रिकॉर्ड से चौंकाने वाले आंकड़े बताते हैं कि कर्नाटक में 2024 से 2025 के मध्य तक, यानी सिर्फ़ एक साल और चार महीने की अवधि में 981 किसानों ने आत्महत्या की है. इनमें से 825 मामलों को योग्य किसान आत्महत्या के रूप में पहचाना गया है, जबकि 138 अन्य कारणों से आत्महत्या के मामले थे. हावेरी जिला 128 आत्महत्याओं के साथ सूची में सबसे ऊपर है, उसके बाद मैसूर (73), धारवाड़ (72) और बेलगावी (71) का स्थान है. वहीं बेंगलुरु शहरी, बेंगलुरु ग्रामीण, उडुपी और कोलार जिलों से एक भी किसान आत्महत्या की सूचना नहीं मिली.