प्रवर्तन निदेशालय (ED) 'अपराधियों' की तरह काम नहीं कर सकता और उसे खुद को कानून के दायरे में ही रखना होगा. यह बात गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांचे गए मामलों में दोषसिद्धि की कम दरों पर चिंता जताते हुए कही.
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भुयान और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा, "हम प्रवर्तन निदेशालय की छवि को लेकर भी चिंतित हैं." सुप्रीम कोर्ट ने 2022 के उस फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी की शक्तियों को बरकरार रखा गया था.