प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 68वीं बार रेडियो पर 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित कर रहे हैं। पीएम मोदी हर महीने के अंतिम रविवार को राष्ट्र को संबोधित करते हैं। उनका यह कार्यक्रम आकाशवाणी और दूरदर्शन के सभी नेटवर्क पर प्रसारित किया जा रहा है।
पीएम मोदी की इस बात से पता चलता है कि वह चीन को भारतीय खिलौना बाजार से दूर करना चाहते हैं। इसे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चीन के खिलाफ उठाए जाने वाले एक अन्य कदम के रूप में देखा जा सकता है। चीन का भारतीय खिलौना बाजार में बहुत बड़ा हिस्सा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, भारतीय खिलौने हमारे चिंतन का विषय है। हाल ही में, इस बात पर मंथन हुआ है कि भारत के बच्चों को नए-नए खिलौने कैसे मिलें। भारत खिलौना उत्पादन का बहुत बड़ा हब कैसे बने।
उन्होंने कहा, हमारे देश में लोकल खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है। कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं। भारत के कुछ क्षेत्र टॉय क्लस्टर्स यानी खिलौनों के केंद्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं। उदाहरण के लिए कर्नाटक के रामनगरम में चन्नापटना, आंध्र प्रदेश के कृष्णा में कोंडापल्ली जैसे स्थान।
पीएम मोदी ने कहा, जिस देश के पास इतनी विरासत, परंपरा, विविधता और आबादी हो, फिर भी उसकी देश के खिलौना बाजार में कम हिस्सेदारी होना अच्छी बात नहीं है। उन्होंने आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में रहने वाले खिलौना बनाने वाले कारीगर सी वी राजू का जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, एक समय राजू के गांव के एति-कोप्पका टॉयज बहुत प्रचलित थे। इनकी खासियत ये थी कि ये खिलौने लकड़ी से बनते थे, और दूसरी बात ये कि इन खिलौनों में आपको कहीं कोई एंगल या कोण नहीं मिलता था।
उन्होंने कहा, राजू ने एति-कोप्पका टॉयज के लिए अब अपने गांव के कारीगरों के साथ मिलकर एक तरह से नया अभियान शुरू कर दिया है। बेहतरीन गुणवत्ता के एति-कोप्पका टॉयज बनाकर उन्होंने स्थानीय खिलौनों की खोई हुई गरिमा को वापस ला दिया है।
पीएम ने कहा, अब कंप्यूटर और स्मार्टफोन के इस जमाने में कंप्यूटर गेम्स का भी बहुत ट्रेंड में है। लेकिन, इनमें भी जितने गेम्स होते हैं, उनकी थीम्स भी अधिकतर बाहर की ही होती हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान में वर्चुअल गेम्स हों, टॉयज का सेक्टर हो, सभी को बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 68वीं बार रेडियो पर 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित कर रहे हैं। पीएम मोदी हर महीने के अंतिम रविवार को राष्ट्र को संबोधित करते हैं। उनका यह कार्यक्रम आकाशवाणी और दूरदर्शन के सभी नेटवर्क पर प्रसारित किया जा रहा है।
पीएम मोदी की इस बात से पता चलता है कि वह चीन को भारतीय खिलौना बाजार से दूर करना चाहते हैं। इसे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चीन के खिलाफ उठाए जाने वाले एक अन्य कदम के रूप में देखा जा सकता है। चीन का भारतीय खिलौना बाजार में बहुत बड़ा हिस्सा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, भारतीय खिलौने हमारे चिंतन का विषय है। हाल ही में, इस बात पर मंथन हुआ है कि भारत के बच्चों को नए-नए खिलौने कैसे मिलें। भारत खिलौना उत्पादन का बहुत बड़ा हब कैसे बने।
उन्होंने कहा, हमारे देश में लोकल खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है। कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं। भारत के कुछ क्षेत्र टॉय क्लस्टर्स यानी खिलौनों के केंद्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं। उदाहरण के लिए कर्नाटक के रामनगरम में चन्नापटना, आंध्र प्रदेश के कृष्णा में कोंडापल्ली जैसे स्थान।
पीएम मोदी ने कहा, जिस देश के पास इतनी विरासत, परंपरा, विविधता और आबादी हो, फिर भी उसकी देश के खिलौना बाजार में कम हिस्सेदारी होना अच्छी बात नहीं है। उन्होंने आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में रहने वाले खिलौना बनाने वाले कारीगर सी वी राजू का जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, एक समय राजू के गांव के एति-कोप्पका टॉयज बहुत प्रचलित थे। इनकी खासियत ये थी कि ये खिलौने लकड़ी से बनते थे, और दूसरी बात ये कि इन खिलौनों में आपको कहीं कोई एंगल या कोण नहीं मिलता था।
उन्होंने कहा, राजू ने एति-कोप्पका टॉयज के लिए अब अपने गांव के कारीगरों के साथ मिलकर एक तरह से नया अभियान शुरू कर दिया है। बेहतरीन गुणवत्ता के एति-कोप्पका टॉयज बनाकर उन्होंने स्थानीय खिलौनों की खोई हुई गरिमा को वापस ला दिया है।
पीएम ने कहा, अब कंप्यूटर और स्मार्टफोन के इस जमाने में कंप्यूटर गेम्स का भी बहुत ट्रेंड में है। लेकिन, इनमें भी जितने गेम्स होते हैं, उनकी थीम्स भी अधिकतर बाहर की ही होती हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान में वर्चुअल गेम्स हों, टॉयज का सेक्टर हो, सभी को बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।