केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का बचाव करते हुए कहा कि वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है, पर यह इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. केंद्र ने वक्फ अधिनियम, 2025 को पिछले महीने अधिसूचित किया था, जब इसे 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिली थी.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह के समक्ष अपनी दलील पेश करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है. लेकिन यह इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. मेहता ने कहा कि, वक्फ इस्लाम में सिर्फ दान के अलावा और कुछ नहीं है.