प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शुक्रवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत '21वीं सदी में स्कूली शिक्षा' सम्मेलन को संबोधित किया। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा, शिक्षा मंत्रालय दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है, जो गुरुवार से शिक्षा पर्व के रूप में शुरू हुआ है।
हमें अपने स्टूडेंट्स को 21वीं सदी की स्किल्स के साथ आगे बढ़ाना है। ये 21वीं सदी की स्किल्स क्या होंगी? ये होंगी: क्रिटिकल थिंकिंग, क्रिएटिविटी, कोलेबोरेशन, क्यूरोसिटी और कम्युनिकेशन।
- एनईपी को इसी तरह तैयार किया गया है ताकि सिलेबस को कम किया जा सके और फंडामेंटल चीजों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। लर्निंग को इंटिग्रेटिड एवं इंटर-डिसिप्लीनेरी, फन बेस्ड और कंप्लीट एक्सपीरियंस बनाने के लिए एक नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क डेवलप किया जाएगा।
- कितने ही प्रोफेशन हैं जिनके लिए डीप स्किल्स की जरूरत होती है, लेकिन हम उन्हें महत्व ही नहीं देते। अगर स्टूडेंट्स इन्हें देखेंगे तो एक तरह का भावनात्मक जुड़ाव होगा, उनकी रिस्पेक्ट करेंगे। हो सकता है बड़े होकर इनमें से कई बच्चे ऐसे ही उद्योगों से जुड़ें, उन्हें आगे बढ़ाएं।
- हमारे देश भर में हर क्षेत्र की अपनी कुछ न कुछ खूबी है, कोई न कोई पारंपरिक कला, कारीगरी, प्रोडक्ट्स हर जगह के मशहूर हैं। स्टूडेंट्स उन करघों, हथकरघों में विजिट करें, देखें आखिर ये कपड़े बनते कैसे हैं? स्कूल में भी ऐसे स्किल्ड लोगों को बुलाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शुक्रवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत '21वीं सदी में स्कूली शिक्षा' सम्मेलन को संबोधित किया। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा, शिक्षा मंत्रालय दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है, जो गुरुवार से शिक्षा पर्व के रूप में शुरू हुआ है।
हमें अपने स्टूडेंट्स को 21वीं सदी की स्किल्स के साथ आगे बढ़ाना है। ये 21वीं सदी की स्किल्स क्या होंगी? ये होंगी: क्रिटिकल थिंकिंग, क्रिएटिविटी, कोलेबोरेशन, क्यूरोसिटी और कम्युनिकेशन।
- एनईपी को इसी तरह तैयार किया गया है ताकि सिलेबस को कम किया जा सके और फंडामेंटल चीजों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। लर्निंग को इंटिग्रेटिड एवं इंटर-डिसिप्लीनेरी, फन बेस्ड और कंप्लीट एक्सपीरियंस बनाने के लिए एक नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क डेवलप किया जाएगा।
- कितने ही प्रोफेशन हैं जिनके लिए डीप स्किल्स की जरूरत होती है, लेकिन हम उन्हें महत्व ही नहीं देते। अगर स्टूडेंट्स इन्हें देखेंगे तो एक तरह का भावनात्मक जुड़ाव होगा, उनकी रिस्पेक्ट करेंगे। हो सकता है बड़े होकर इनमें से कई बच्चे ऐसे ही उद्योगों से जुड़ें, उन्हें आगे बढ़ाएं।
- हमारे देश भर में हर क्षेत्र की अपनी कुछ न कुछ खूबी है, कोई न कोई पारंपरिक कला, कारीगरी, प्रोडक्ट्स हर जगह के मशहूर हैं। स्टूडेंट्स उन करघों, हथकरघों में विजिट करें, देखें आखिर ये कपड़े बनते कैसे हैं? स्कूल में भी ऐसे स्किल्ड लोगों को बुलाया जा सकता है।