• डॉ. सुधीर सक्सेना
बुर्कीना फासो छोटा सा अफ्रीकी राष्ट्र है विशालकाय अफ्रीका महाद्वीप में पश्चिमोत्तर में स्थित भू-आवेष्टित 2.47 लाख वर्ग किमी का लगभग 2.4 करोड़ की आबादी का देश। 65 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है और वह विश्व के चुनींदा निर्धनतम राष्ट्रों में शुमार है। फ्रांस की औपनिवेशक दासता से मुक्त हुये इसे लगभग कुछ दहाइयां ही बीती हैं और प्रारंभिक लोकतंत्र के बाद वहां तख्तापलट का इतिहास रहा है। वहां आतंकवादी समूह सक्रिय हैं और आर्थिक विकास के पैमाने पर वह बहुत निचली पायदान पर है। यही बुर्कीना फासो इन दिनों विश्वव्यापी सुर्खियों में है और उसकी सुर्खियों में आने का सबब हैं वहां के 36 वर्षीय युवा राष्ट्रपति इब्राहीम ट्रओरे, जो लगभग चार वर्ष पूर्व कू-दे-ता से सत्ता में आये थे। अपनी रीति और नीति से ट्रओरे पैन-अफ्रीका या अफ्रीकी-अस्मिता के प्रतीक बनकर उभरे हैं। जाहिर है कि वह योरोप और अमेरिका के धनीमानी राष्ट्रों और निओ-इंपीरियालिस्ट ताकतों की आंखों में किरकिरी बनकर खड़क रहे हैं। बिलाशक अपने दुस्साहसिक फैसलों से उन्होंने अमेरिका और फ्रांस जैसे महाबली राष्ट्रों को चुनौती दे डाली है।
कभी अपर वोल्टा के नाम से ज्ञात बुर्कीना सन 1896 में फ्रांसीसी दासता के जुएं तले आया। सन 1958 में स्वशासन के हक के बाद इसे सन 1960 में आजादी मिली। इसके बाद का इतिहास अस्थिरता, अकाल, दुर्भिक्षों, तखतापलट और भ्रष्टाचार की गाथा है। सन 1966, 80, 83 और 87 तथा फिर सन 2022 में दो बार कूदे तो हुये। तख्तापलट के विफल प्रयास सन 1989, 2015 और 2023 में भी देखने को मिली। इनमें उल्लेखनीय रहा सन 1983 में सत्त में आये थॉमस संकारा का कार्यकाल। संकारा पहले राष्ट्राध्यक्ष थे, जिन्होंने बुर्कीना फासो को सुधारों और विकास की राह पर बढ़ाया। सामाजिक-आर्थिक, सुधारों के तहत उन्होंने साक्षरता अभियान, भूमि पुर्नवितरण, 20 लाख से अधिक बच्चों का टीकाकरण, रेल और सड़क निर्माण, सबको शिक्षा जैसी योजनाएं लागू कीं। उन्होंने महिलाओं का खतना, बलात विवाह और बहु विवाह पर पाबंदी लगाई, मगर सन 1987 में ब्लेस कोम्पाओरे के नेतृत्व में सशस्त्र क्रांति में उनका तख्ता पलट कर उनकी हत्या कर दी गयी। ब्लेस की तानाशाही का 31 अक्टूबर 2014 को अंत हुआ, लेकिन उसके बाद बुर्कीना अग्रवादी इस्लामी गुटों की घुसपैठ और हिंसा में डूब गया, जिसमें दस लाख से अधिक बुर्कीना बे विस्थापित हुये।
हिंसा, रक्तपात और अराजकता के ऐसे स्याह दौर में पहले जनवरी, 2022 में संदोओगो दमीबा के नेतृत्व में फौजी जुंता ने सत्ता संभाली, लेकिन 30 सितंबर को कैप्टेन इब्राहीम ने उनका तख्ता पलट दिया। वह दिन और आज का दिन कि ट्रओरे सत्ता पर काबिज हैं। जनता का दिल जीतने के लिये उन्होंने संकारा के नक्शे-पर चलने का फैसला किया है। यद्यपि देश में अनेक कबीलाई भाषाएं हैं, किंतु वहां राजकीय और कारोबारी भाषा के तौर पर फ्रेंच प्रतिष्ठित थी। इस साल के शुरू में उसे अपदस्थ कर कामकाजी भाषा का दर्जा देकर मूरे, बिस्सा, दयूले और फूला जैसी 60 स्थानीय बोलियो को अधिकारिक दर्जा दिया गया। उसने अपने स्वर्ण, अभ्रक, चूना पत्थर और तांबे के भंडारों पर ध्यान दिया। संयुक्त राष्ट्र संघ इस्लामी सहयोग संगठन और ला फ्रांकोफोनी के सदस्य बुर्कीना ने अफ्रीकी यूनियन और अफ्रीकी देशों के आर्थिक समूह की सदस्यता छोड़ दी और माली और नाइजर के साथ सहेल-गठबंधन का गठन किया। ज्ञातव्य है कि माली और नाइजर उसके पड़ोसी राष्ट्र हैं और समान विपदाओं से जूझ रहे हैं। अब ये तीनों राष्ट्र हाथ में हाथ डालें न सिर्फ घरेलू और बाहरी संकटों का मुकाबला कर रहे हैं, बल्कि एक ही रास्ते पर कदमताल करने के मूड में हैं। फ्रेंचकाल में अपर वोल्टा के तौर पर ज्ञात राष्ट्र को बुर्कीना फासो नाम थॉमस संकरा की देन है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है ईमानदारों की धरती। ट्रओरे की पहल पर फ्रेंच फौजियों को निष्कासित कर तीनों उक्त देशों के रंगरूटो को कानून और सुरक्षा का दायित्व सौंपा गया है। हालात का एहसास इससे हो सकता है कि अमेरिका समेत अनेक देशों ने सैलानियों से बुर्कीनो के अंदरूनी भागों की यात्रा नहीं करने को कहा है। देश में यातायात और संचार साधन अत्यल्प हैं। दक्षिण अफ्रीका, माली और घाना के बाद बुर्कीना अफ्रीका का चौथा प्रमुख स्वर्ण उत्पादक राष्ट्र है। सोना, कपास और तिलहन वहां की मुख्य निर्यात वस्तुएं हैं। इनका उत्पादन बढ़ाने के उपक्रमों में तेजी आई है। वैसे बुर्कीना जवाहरतों का भी निर्यात करता है और वहां के पारंपरिक हस्तशिल्प की विश्व बाजार में अच्छी मांग व प्रतिष्ठा है। ट्रओरे अब इन पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही अधोसंरचना के विकास पर जोर दे रहे हैं।
इसमें शक नहीं संकारा ट्रओरे के आदर्श हैं और वह उनकी विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। संकारा ऐसी शख्सियत थे, जिसने मर्सिडीज की बेड़ा बेचकर सस्ती रेनोल्ट को चुना था। उन्होंने अफसरों के वेतन में कटौती कर उनके प्रथम श्रेणी हवाई टिकट और शोफरों के पर पाबंदी लगा दी थी। वह विदेशी वित्त के विरोधी थे और कहते थे कि ही हू फीड्स यू, कंट्रोल्स यू। अफ्रीका केचेक्वेरा कहे गये संकारा अफ्रीकी राष्ट्रों की एकजुटता चाहते थे, ताकि अफ्रीका का उद्धार हो और वह पश्चिम की गुलामी से मुक्त हो। उन्हें क्यूबा का मॉडेल पसंद था। उन्होंने राजधानी क्बागादोगू में फौज के प्रोवीजन स्टोर को जनसामान्य के लिए देश के पहले सुपर मार्केट में तब्दील कर दिया था। उनके दफ्तर में एयर कंडीशनर नहीं था और वह सिर्फ 450 डालर वेतन लेते थे। उनके पास सिर्फ एक कार, चार बाइक, तीन गिटार, एक रेफ्रीजरेटर और एक टूटा फ्रीजर था। वह कुशल गिटारवादक थे। बिना अंगरक्षकों के वह जॉगिंग पर निकल जाते थे। बुर्कीना का राष्ट्रगीत उन्होंने ही लिखा था। सार्वजनिक दफ्तरों में अपना चित्र नहीं लटकाने पर पूछे प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा था कि हमारे यहां सात मिलियन संकारा हैं।
आज पूरा बुर्कीना उन्हीं संकारा को याद कर रहा है। सन 2019 में राजधानी में उसी ठोर उनकी प्रतिमा लगी, जहां उनकी हत्या हुई थी। मुखाकृति नहीं मिलने से अगले वर्ष नयी प्रतिमा स्थापित की गयी। ट्रओरे के सत्ता में आने के बाद सन 2023 में उन्हें ‘हीरो ऑफ द नेशन’ घोषित किया गया। अक्टूबर सन 2023 में ही राजधानी के बुल्वार चार्ल्स द गाल का नाम बदलकर बुल्वार कैप्टेन थॉमस संकारा कर दिया गया। इस बीच क्यूबा ने संकारा को अपने सर्वोच्च सम्मान ऑर्डर ऑफ जोसे मार्टीं से विभूषित किया।
14 मार्च, 1988 को जनमे ट्रओरे स्नातक हैं। उनका सेना पर कड़ा नियंत्रण है। यही वजह है कि सितंबर, 23 में उन्हें अपदस्थ करने की कोशिश बेकार गयी। मई, 24 में हुई राष्ट्रीय बैठक में इस पर सहमति बनी कि ट्रओरे का कार्यकाल पांच साल बढ़ाया जाए और अगला चुनाव लड़ने की छूट भी मिले। इसी के बाद ट्रओरे ने सरकार भंग कर प्रधानमंत्री तंबेला को बर्खास्त कर दिया। आर्थिकी सुधारने के लिये कच्चे सोने का निर्यात रोकने के लिए देश में गोल्ड रिफाइनरी खोलने की पहल की गयी। फ्रेंच सैन्य समर्थन को ठुकरा कर उन्होंने रूस और तुर्किये की तरफ पींगे बढ़ाई हैं।
ट्रओरे के नेतृत्व में बुर्कीना फासो ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह विभिन्न देशों से बराबरी के निश्ते चाहता है। पड़ोसी राष्ट्र माली की तरफ हाथ बढ़ाने के बाद दोनों ने गुआना की तरफ हाथ बढ़ाये और संघ बनाने की पेशकश की। यदि यह पहल रंग लाती है तो यह फौजी जुंता के तहत विशालतम भूखंड होगा। ट्रओरे माली और नाइजर के साथ संयुक्त संसद के भी हिमायती हैं। बताया जाता है कि जेहादियों से निपटने के लिये ट्रओरे ने रूस के वाग्नर-ग्रुप से हाथ मिला लिये हैं, अलबत्ता इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। यह भी खबर है कि बुर्कीना में गत वर्ष से रूसी टुकड़ियां तैनात है। रूस-अफ्रीका शिखर वार्ता के बाद ट्रओरे सन 1992 में बंद हो चुके रूसी दूतावास को पुन: खोलने का ऐलान कर चुके हैं। उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात की बुर्कीना में सौ मस्जिदें बनाने की पेशकश यह कहकर ठुकरा दी है कि हमें मस्जिदों की नहीं, वरन स्कूल-कालेजों, अस्पतालों और कल कारखानों की जरूरत है। इसमें शक नहीं कि युवा ट्रओरे संकारा के जूतों में पांब डाल चुके हैं। देखना होगा कि निओ इंपीरियलिज्म के इस मुखालिफ राष्ट्राध्यक्ष को पश्चिमी राष्ट्र कितना और कब तक सहन करते हैं?