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हॉट टोपिक
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Added on : 2025-08-13 14:15:02

हेमंत चन्द्र दुबे

कल 12 अगस्त सन् 1932 लॉस एंजिल्स ओलंपिक में हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद और छोटे भाई कैप्टन रूप सिंह ने हाकी के मैदान में अमेरिका पर 24 गोल का भारी भरकम टैरिफ लगाया था ,जो आज भी ओलंपिक हॉकी मैदान पर अजेय कीर्तिमान के रूप में कायम है ।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप नित्य प्रति भारत को टैरिफ का जिन्न बोतल में से निकाल निकाल के डराते हैं और खौफजदा करते है, लेकिन ट्रंप भूल जाते है यह देश हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद और कैप्टन रूप सिंह का देश है जिन्होंने 1932 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेलो में अमेरिका की धरती पर हाकी के मैदान पर अमेरिका पर ऐसा टैरिफ लगाया था , जो आज 93 वर्षो के बाद भी कोई देश नहीं लगा सका है। घटना 1932 लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेलो की है , जब आर्थिक मंदी से दुनिया गुजर रही थी और अमरीका आर्थिक बादशाहत कायम रखने के लिए दुनिया के दूसरे मुल्कों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार रखे हुआ था, दुनिया के बहुत से देशों ने 1932 ओलिंपिक खेलों का इसी विरोध के चलते बहिष्कार भी किया, लेकिन भारत ने हाकी में भाग लेना का फैसला किया , किन्तु टीम भेजने के लिए भारतीय हाकी संघ के समक्ष आर्थिक संकट मुंह बाएं खड़ा था , अनेक प्रयास किए जा रहे थे। लगता था कि आर्थिक तंगी से टीम को ओलंपिक खेलो में भेज पाना संभव नहीं होगा । अंततः पंजाब नेशनल बैंक से ऋण लेकर भारतीय हाकी टीम पानी के जहाज से लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेलो में भाग लेने के लिए रवाना होती हैं। जब टीम जापान के कोबे तट पहुंची तो उसका स्वागत करने कोई और नहीं निर्वासन मे रह रहे महान क्रांतिकारी रास बिहारी बोस स्वयं पहुंचे थे, आप कल्पना कीजिए कि अंग्रेजी शासन और निर्वासन में रह रहे क्रांतिकारी भारतीय हाकी टीम का गर्मजोशी से सार्वजनिक स्वागत करते हैं।यह कोई मामूली घटना है, क्योंकि निर्वासित व्यक्ति से मुलाकात का अर्थ सजा ए मौत था।सच पूछा जाए तो यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की बड़ी घटना है जिसने विदेशी धरती पर भारत की आजादी की मांग को मजबूती प्रदान की । भारतीय हाकी टीम जापान से होते हुए लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेलो में हिस्सा लेने पहुंचती हैं ।12 अगस्त 1932 को भारतीय हाकी टीम का मुक़ाबला मेजबान अमेरिका से होना था, इससे पूर्व भारतीय हाकी टीम ने जापान को 9 अगस्त 1932 को 11 के मुक़ाबले 1 गोल से पराजित करते हुए पूर्व में ही अपने इरादे जतला दिए थे, और अमेरिका के समाचार पत्र लिख रहे थे, विज्ञापन निकाल रहे थे कि जो भी अमेरिका का हाकी खिलाड़ी भारत के किसी भी खिलाड़ी को तीन गोल करने से रोक लेगा उसे नकद इनाम दिया जाएगा। घरेलू दर्शकों की विशाल मौजूदगी, आर्थिक स्थिति के घमंड से लबरेज अमेरिका के खिलाफ गुलाम भारत , आर्थिक रूप से इतना कमजोर कि बैंक से ऋण लेकर ओलपिक में भाग लेने गया था, आप भारतीय हाकी खिलाड़ियों हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद , कैप्टन रूप सिंह की मानसिक स्थिति का अंदाजा लगा सकते हो कि किस दबाव में वे मैदान में अमेरिका के खिलाफ खेलने उतरे होंगे ! खेल शुरू हुआ और फिर दुनिया ने हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद और छोटे भाई कैप्टन रूप सिंह की गोल करने की भूख देखकर दांतों तले उंगली दबा ली । 70 मिनट के खेल में लगभग लगभग हर ढाई से तीन मिनट में हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद और छोटे भाई कैप्टन रूप सिंह ने देखते देखते अमेरिका के खिलाफ 24 गोल जड़ दिए। दोनों भाइयों ध्यानचंद और छोटे भाई कैप्टन रूप सिंह ने हाकी के मैदान पर 93 वर्ष पूर्व अमेरिका पर जो टैरिफ लगाया वह आज भी ओलंपिक खेलों के हाकी इतिहास में जस का तस है। आज तक उस टैरिफ को कोई हटा और हरा नहीं सका है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप को समझना होगा कि जो देश गुलामी के दौर से आर्थिक संकटों से लड़ते हुए उनकी धरती पर घमंड को चकनाचूर कर सकता है तो वही देश मेजर ध्यानचंद और कैप्टन रूप सिंह से प्रेरणा लेकर , उनकी ईमानदारी नैतिकता की दम पर आज भी तुम्हारे आर्थिक घमंड को चकनाचूर करने की दम खम रखता है।

बस आज अफसोस इस बात का है कि हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को देश भारत रत्न मानता है लेकिन सरकार नहीं। वे कैप्टन रूप सिंह को उनके हिस्से का सम्मान देने को तैयार नहीं हैं । यही कारण है कि अमेरिका यह अच्छी तरह से समझता और जानता है कि भारत में भारत मां का मान बढ़ाने वाले भारत रत्न नहीं होते है ,इस देश में wiils सिगरेट की बिक्री बढ़ाने वाले क्रिकेटर और चुनावों की पूर्व बेला में मतदाता को खुश करने वाले राजनेता भारत रत्न होते है, जहां योग्यता की कोई कीमत नहीं होती और इसलिए अमेरिका भारत को टैरिफ नाम की आंखे दिखाने का दुस्साहस करता है। जिस दिन मेरा देश और मेरे देश की सरकारे योग्यता की कीमत करना सीख जाएंगे ,उसी दिन डोनाल्ड अंकल का टैरिफ टैरिफ खेल खत्म हो जाएगा क्योंकि यह देश हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद, कैप्टन रूप सिंह का देश है जिसकी मजबूत नींव नैतिकता ईमानदारी सच्चाई की बुनियाद मेरे देश के नैतिक ईमानदार खिलाड़ियों और नागरिकों ने मिलकर रखी है।

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