कश्मीर, भारत का स्वर्ग कश्मीर। हशीन कश्मीर, कश्मिन कश्मीर। हसींन वादियों से भरा कश्मीर। कही घुमने का दिल करे तो चलो चले कश्मीर की ओर। इस खुबसूरत कश्मीर का दिल भारत अब तक क्यों नहीं जित पाया…? अब तक इसलिए क्योंकि यदि हमनें, भारत ने कश्मीरियो का दिल जीता होता तो पुलवामा आतंकी हमला नहीं होता इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता। आज़ादी के बाद से भारत और दिल्ही की गद्दीनशीन सभी सरकारों ने बार बार लगातार एक ही बात दोहराई की कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, कश्मीर को कोई भारत से अलग नहीं कर सकता। हर बार वही बात। लेकिन क्या हम,आप कश्मीरियो के सही मायने में दिल जित पाए है क्या…? ७० साल में कई सरकारे आई और गई। कोंग्रेस, भाजपा जनता पार्टी और कई दलों की मोर्चा सरकारे आई लेकिन किसी ने कश्मीरी का दिल जितने के लिए ऐसा किया की केन्द्रीय केबिनेट की एक मीटिंग श्रीनगर के लाल चोक में आयोजित की हो…? कश्मीर को भारतसे अलग करनेवाली धारा 370 दूर करने के प्रयास या कोंगेस या इस सरकार ने किये…? ये सरकार तो आज़ाद भारत की पहली पूर्ण बहुमतवाली सरकार है तब धारा 370 को दूर करने के लिए क्या प्रयास कीये गए..?
भाजपा के सांसद और सुप्रीम कोर्ट के जानेमाने वकील सुब्रमण्यम स्वामी का मानना है की कश्मीर के लिए धारा 370 दूर करने के लिए संसद की मंजूरी की आवश्यकता नहीं। राष्ट्रपति महोदय सिर्फ एक नोटिफिकेशन जारी कर इसे खतम कर सकते है। हो सकता है की उन्होंने अपनी मोदी सरकार को इसकी जानकारी दी होंगी ही। यदि नहीं दी और अब मिडिया के जरिये कह रहे तो मोदी सरकार संविधान के एक्सपर्ट की क़ानूनी राय ले कर उसकी जांच करवा कर उस पर अमल करे। और ये संभव नहीं है तो ओर कोनसा उपाय हो सकता है उस पर विचार करे। एक राय ये है की धारा 370 दूर करने के लिए जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में प्रस्ताव पारित होना जरुरी है। यदि ये जरुरी है तो अब तक इतनी सारी सरकारे श्रीनगर में बनी तब ऐसा क्यों नहीं हो पाया…? भाजपा ने भी तो पीडीपी के साथ सरकार बनाई तब इस प्रस्ताव के प्रयास क्यों नहीं कियें गए…?
कश्मीर के लोग खुद दिल्ही आकर सरकार से ये मांग करे की हमें धारा 370 नहीं चाहियें, हमें पाकिस्तान ने गुमराह किया अब हम अपनी नई पीढ़ी के हाथो में बंदूकें नहीं कलम देखना चाहते है…ऐसा माहोल क्या नहीं बन सकता…? क्यों भारत के लोगो को वहा रहने की इजाजत नहीं मिलती…? कबतक धारा 370 का अलगाववादी दुरूपयोग करते रहेंगे…? क्यों हमारे नेतागण बड़ी बड़ी जनसभाओ में जनता का दिल जीतते है तो कश्मीर के लाल चोक में अब तक की बड़ी सभा आयोजित कर कश्मरियो को ये भरोसा क्यों नहीं दे सकते की मुज पर विश्वास रखो, मेरे साथ चलो, गुमराह की जिन्दगी से बाहर निकल कर चलो मेरे साथ क्योंकि- कहती है सीधी राह पे चलना…देख के उलझन बच के निकलना, कोई ये माने या ना माने बहोत है मुश्किल गिर के संभलना…बाहें पसारे तुझको पुकारे देश तेरा…..आ अब लौट चले….!
Courtesy: GNS
कश्मीर, भारत का स्वर्ग कश्मीर। हशीन कश्मीर, कश्मिन कश्मीर। हसींन वादियों से भरा कश्मीर। कही घुमने का दिल करे तो चलो चले कश्मीर की ओर। इस खुबसूरत कश्मीर का दिल भारत अब तक क्यों नहीं जित पाया…? अब तक इसलिए क्योंकि यदि हमनें, भारत ने कश्मीरियो का दिल जीता होता तो पुलवामा आतंकी हमला नहीं होता इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता। आज़ादी के बाद से भारत और दिल्ही की गद्दीनशीन सभी सरकारों ने बार बार लगातार एक ही बात दोहराई की कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, कश्मीर को कोई भारत से अलग नहीं कर सकता। हर बार वही बात। लेकिन क्या हम,आप कश्मीरियो के सही मायने में दिल जित पाए है क्या…? ७० साल में कई सरकारे आई और गई। कोंग्रेस, भाजपा जनता पार्टी और कई दलों की मोर्चा सरकारे आई लेकिन किसी ने कश्मीरी का दिल जितने के लिए ऐसा किया की केन्द्रीय केबिनेट की एक मीटिंग श्रीनगर के लाल चोक में आयोजित की हो…? कश्मीर को भारतसे अलग करनेवाली धारा 370 दूर करने के प्रयास या कोंगेस या इस सरकार ने किये…? ये सरकार तो आज़ाद भारत की पहली पूर्ण बहुमतवाली सरकार है तब धारा 370 को दूर करने के लिए क्या प्रयास कीये गए..?
भाजपा के सांसद और सुप्रीम कोर्ट के जानेमाने वकील सुब्रमण्यम स्वामी का मानना है की कश्मीर के लिए धारा 370 दूर करने के लिए संसद की मंजूरी की आवश्यकता नहीं। राष्ट्रपति महोदय सिर्फ एक नोटिफिकेशन जारी कर इसे खतम कर सकते है। हो सकता है की उन्होंने अपनी मोदी सरकार को इसकी जानकारी दी होंगी ही। यदि नहीं दी और अब मिडिया के जरिये कह रहे तो मोदी सरकार संविधान के एक्सपर्ट की क़ानूनी राय ले कर उसकी जांच करवा कर उस पर अमल करे। और ये संभव नहीं है तो ओर कोनसा उपाय हो सकता है उस पर विचार करे। एक राय ये है की धारा 370 दूर करने के लिए जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में प्रस्ताव पारित होना जरुरी है। यदि ये जरुरी है तो अब तक इतनी सारी सरकारे श्रीनगर में बनी तब ऐसा क्यों नहीं हो पाया…? भाजपा ने भी तो पीडीपी के साथ सरकार बनाई तब इस प्रस्ताव के प्रयास क्यों नहीं कियें गए…?
कश्मीर के लोग खुद दिल्ही आकर सरकार से ये मांग करे की हमें धारा 370 नहीं चाहियें, हमें पाकिस्तान ने गुमराह किया अब हम अपनी नई पीढ़ी के हाथो में बंदूकें नहीं कलम देखना चाहते है…ऐसा माहोल क्या नहीं बन सकता…? क्यों भारत के लोगो को वहा रहने की इजाजत नहीं मिलती…? कबतक धारा 370 का अलगाववादी दुरूपयोग करते रहेंगे…? क्यों हमारे नेतागण बड़ी बड़ी जनसभाओ में जनता का दिल जीतते है तो कश्मीर के लाल चोक में अब तक की बड़ी सभा आयोजित कर कश्मरियो को ये भरोसा क्यों नहीं दे सकते की मुज पर विश्वास रखो, मेरे साथ चलो, गुमराह की जिन्दगी से बाहर निकल कर चलो मेरे साथ क्योंकि- कहती है सीधी राह पे चलना…देख के उलझन बच के निकलना, कोई ये माने या ना माने बहोत है मुश्किल गिर के संभलना…बाहें पसारे तुझको पुकारे देश तेरा…..आ अब लौट चले….!
Courtesy: GNS