राजेश बादल
सेठ डोनाल्ड ट्रम्प भड़के हुए हैं।अरसे तक उनके दोस्त रहे एलन मस्क अब उनके सबसे बड़े दुश्मन बन गए हैं। मस्क ने उनके चुनाव प्रचार अभियान में क़रीब साढ़े तीन हज़ार करोड़ रूपए ख़र्च किए थे।बदले में ट्रम्प ने उन्हें सरकार में शामिल किया।स्वार्थसिद्धि की यह ट्रेन जब तक चली,चलती रही।अब मस्क ने अपनी अलग राह चुन ली है तो ट्रम्प उन्हें ट्रेन का कचरा बता रहे हैं।एक पूँजीपति दूसरे पूँजीपति को नाकारा बता रहा है।अमेरिका के तथाकथित सभ्य लोकतंत्र की यह विचित्र तस्वीर है।नए राजनीतिक दल की सिर्फ़ घोषणा ने बहुमत से सत्ता में आई पार्टी के राष्ट्रपति को इतना परेशान कर दिया है कि वे इसे अमेरिका में अराजकता फैलाने और देश को विघटित करने वाला क़दम बता रहे हैं।वे कहते हैं कि अमेरिका में केवल दो सियासी दल ही हो सकते हैं।तीसरे किसी दल की कोई गुंजाईश ही नहीं है।
संसार में प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक लोकतंत्र की किसी भी परिभाषा को पढ़ और समझ लीजिए,वह डोनाल्ड ट्रम्प के सोच और कार्यशैली के बिल्कुल उलट है।लोकतंत्र का बुनियादी अर्थ यही है कि समाज की शासन पद्धति में सामूहिक भागीदारी होनी चाहिए।कोई एक व्यक्ति अपनी मंशा देश के नागरिकों पर थोप नहीं सकता।छोटे-मोटे फ़ैसले छोड़ दीजिए,लेकिन बड़े नीतिगत मामलों में सामूहिक निर्णय ही असल लोकतंत्र की पहचान है। मगर ट्रम्प का मिजाज़ एकदम विपरीत है।वे मूलतः पूँजीपति हैं और पूँजी तथा लोकतंत्र में दुश्मनी है।पूँजी सिर्फ़ एक व्यक्ति का हित देखती है और लोकतंत्र में लोकहित सर्वोपरि होता है।वह नफ़े-नुक़सान की भाषा नहीं समझता।लोकतंत्र असल मायने में सबके कल्याण से जुड़ा है।इस नज़रिए से ट्रम्प अधिनायक हैं।संसार के सबसे आधुनिक लोकतंत्र का दुरूपयोग वे निजी स्वार्थ साधने में कर रहे हैं।बेटे को वे पाकिस्तान में क्रिप्टो करंसी का ठेका दे चुके हैं।पाकिस्तान उनके पुत्र को मदद करे इसलिए वे उस लाड़ले को गोद में बिठा रहे हैं।ऑपरेशन सिन्दूर के बाद अमेरिका का यह चरित्र उजागर हो चुका है।साल भर पहले ट्रम्प ने अपनी क्रिप्टो करंसी कंपनी बनाई थी।कंपनी में ट्रंप की भागीदारी 52 फ़ीसदी और उनके बेटे बैरन ट्रंप 7.5 प्रतिशत मालिकाना हक़ के साथ उपस्थित हैं।ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद उनके बेटे ने लगभग 342 करोड़ रूपए कमाए हैं।ज़रा सोचिए संसार का कौन सा लोकतांत्रिक मुल्क़ होगा,जो अपने राष्ट्रपति को पद पर रहते हुए इस तरह निजी धंधे को फैलाने की छूट देगा।
इतना ही नहीं,डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिकी फेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन ( एफ बी आई ) का धड़ल्ले से दुरूपयोग कर रहे हैं।उनकी सरकार ने हाल ही में लगभग एक दर्ज़न आला अफ़सरों को बर्ख़ास्त कर दिया है,जो चार साल पहले अमेरिकी संसद पर हमले की जाँच कर रहे थे।संसद भवन में यह हुल्लड़ ट्रंप के समर्थकों ने ही किया था।राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के रवैए से परेशान क़रीब सात सौ अधिकारियों ने तो समय पूर्व सेवानिवृति के लिए आवेदन कर दिया है।इससे बाद सुबूत और क्या हो सकता है कि राष्ट्रपति लोकतंत्र का मख़ौल उड़ा रहे हैं। जिस तरह राजा अपने भरोसेमंद लोगों पर आँख मूंदकर यक़ीन करता था,कमोबेश वही शैली डोनाल्ड ट्रंप की है।एफबीआई के सर्वेसर्वा काश पटेल उनकी आँखों के तारे हैं।राजा डोनाल्ड के लिए वे कुछ वर्षों से अजीब सा काम कर रहे हैं। उन्होंने बच्चों के लिए 3 किताबों की श्रृंखला लिखी है।इसका नाम है-द प्लॉट अगेंस्ट द किंग ( राजा के ख़िलाफ़ षड्यंत्र ) यह सभी किताबें ब्रेव पब्लिकेशंस ने छापी हैं।इसमें डोनाल्ड एक राजा हैं और काश नामक जादूगर है। बताने की ज़रुरत नहीं कि काश ही काश पटेल हैं।जादूगर काश राजा डोनाल्ड के विरुद्ध एक साज़िश विफल करता है।पहली किताब 2022 में आई।यह 2016 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ट्रम्प और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बीच परदे के पीछे हुए गठजोड़ के बारे में थी और स्टील डोज़ियर पर केंद्रित थी।इसमें दिए दस्तावेज़ों के मुताबिक़ पुतिन ने हिलेरी क्लिंटन की जगह ट्रम्प का समर्थन किया था।यह रिपोर्ट ख़ुफ़िया रणनीतिकार क्रिस्टोफर स्टील ने बनाई थी।बाद में एफबीआई ने डोज़ियर के तथ्यों को सच पाया।अब एफबीआई के उन्ही अफसरों पर गाज़ गिरी है।दूसरी किताब द प्लॉट अगेंस्ट द किंग - 2000 म्यूल्स है।इसमें 2022 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद की घटनाओं का वर्णन है।श्रृंखला की तीसरी किताब-द रिटर्न ऑफ़ द किंग है।इसमें अमेरिकी न्याय विभाग की ओर से ट्रम्प को दुश्मन बताया गया है।वे अधिकारी भी बाद में ट्रम्प का निशाना बन गए। दिलचस्प यह है कि तीनों किताबों में हिलेरी क्लिंटन को खलनायिका बताया गया है।हम अनुमान लगा सकते हैं कि अमेरिकी लोकतंत्र का कैसा घिनौना रूप साहित्य के माध्यम से परोसा जा रहा है
दरअसल ट्रम्प को भय है कि एलन मस्क की पार्टी उनके लिए मुसीबत बन सकती है।बेशक़,मस्क अमेरिका में नहीं जन्में,इसलिए राष्ट्रपति तो नहीं बन सकते।पर,ट्रम्प की राह में रोड़े तो अटका ही सकते हैं।वे किंगमेकर की भूमिका भी निभाने की ताक़त रखते हैं।इसलिए तीसरी पार्टी का उदय ट्रम्प को डरा रहा है।अन्यथा किसी भी लोकतंत्र में नई पार्टी के गठन का तो स्वागत होना चाहिए।वह लोकतंत्र ही कैसा,जिसमें अपने विचारों को व्यक्त करने का अवसर नहीं मिले,सत्ता में भागीदारी के लिए नए राजनीतिक दलों के गठन की अनुमति नहीं हो और सामूहिक नेतृत्व नहीं हो।यह ठीक है कि अमेरिकी इतिहास में उभरे तीसरे दल कभी क़ामयाब नहीं रहे हैं।वैसे भी छोटे दल चरित्र से प्रजातांत्रिक नहीं होते।फिर भी अधिक पार्टियों का होना सत्ताधारी दल की नींद तो उड़ाता ही है।यह पक्ष और प्रतिपक्ष के बीच संतुलन की स्थिति बनाता है और लोकतंत्र की सेहत उम्दा रखता है।